संजा लोकोत्सव के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का बीज वक्तव्य प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा Prof. Shailendrakumar Sharma द्वारा।
प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था द्वारा भारत सरकार, संस्कृति विभाग, संस्कृति संचालनालय, म प्र शासन एवं दक्षिण मध्यक्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के सहयोग से आयोजित संजा लोकोत्सव में 'लोक एवं जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति: अध्ययन एवं अनुसंधान की नई दिशाएँ' विषय पर कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। पहले दिन उद्घाटन अवसर पर उपस्थित थे- श्री नारायण कुमार, श्रीमती नारायणी माया बधेका, डॉ श्रीकृष्ण जुगनू, डॉ वसन्त निरगुणे, प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, श्री ललित शर्मा, डॉ राकेश पांडेय, डॉ पूरन सहगल, डॉ पल्लवी किशन, श्री गुलाब सिंह यादव, डॉ जगदीश चन्द्र शर्मा आदि। तकनीकी सत्र में देश विदेश के विभिन्न भागों से उपस्थित शोध अध्येताओं ने शोध पत्रों का वाचन किया। लिंक पर देख सकते हैं: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1551896901536194&id=100001476965950
संजा लोकोत्सव के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन भारत के विविध लोकांचलों की लोक संस्कृति, साहित्य और परम्पराओं पर गहन मंथन का अवसर मिला। यह दिन पद्मश्री पं रामनारायण उपाध्याय जन्मशताब्दी वर्ष पर उनकी पावन स्मृति को समर्पित था। इसके लिए लिंक पर देख सकते हैं-
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आठ दिवसीय संजा लोकोत्सव का शुभारंभ लोक नृत्य स्पर्धा से हुई था। कालिदास अकादमी में पहले दिन को अंचल के कलाकारों ने देश की अलग-अलग लोक संस्कृतियों के रंग भर दिए। इसी के साथ अभा संजा लोकोत्सव की शुरुआत हो गई। पहले दिन 20 से अधिक समूहों ने दो श्रेणियों में राजस्थानी, मालवी आैर पंजाबी सहित अन्य लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी।
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